यह वो अवशेष हैं जो समुद्र में विलीन श्री कृष्ण की द्वारका नगरी से प्राप्त हुए हैं, जांच होने पर पाया गया की यह अवशेष 32000 वर्ष पुराने हैं l
2001 में सरकार ने गुजरात के समुद्रियो तटों पर प्रदुषण के कारण हुए नुक्सान का अनुमान लगाने के लिए National Institute of Ocean Technology (NIOT) द्वारा एक सर्वे करने को कहा। जब समुद्री तलहटी की जांच की गयी तो सोनार पर मानव निर्मित नगर पाया गया जिसकी जांच करने पर पाया गया की यह नगर 32000 हज़ार वर्ष पुराना है तथा 9000 वर्षों से समुद्र में व...िलीन है।
9000 हज़ार वर्ष पूर हिमयुग की समाप्ति पर समुद्र का जलस्तर बढ़ने के कारण यह शहर समुद्र में विलीन हो गया था l इस शहर के सामने आने पर वो लोग सकते में आ गए जो भारतीय सभ्यता को मात्र 5000 वर्ष पुराना बताते थे तथा यह कहते थे की सनातन ग्रन्थ मात्र मिथक हैं क्योंकि इस शहर का ज़िक्र सनातनी ग्रंथों के अलावा कहीं और नहीं पाया जाता तो यह साबित हो जाता है की हमारे प्राचीन ग्रन्थ मात्र मिथक नहीं अपितु सत्य हैं l
जब यूरोप और अफ्रीका के लोग पूरी तरह मानव भी नहीं बने थे तथा नंगे घूम कर जानवारों को खाकर अपना पेट भरा करते थे तब भारतीय सभ्यता इतनी विकसित थी की तब भारत में योजनाबद्ध नगर बनाये जाते थे। इस ख़ोज का ना तो ज्यादा प्रचार किया गया ना ही इस पर ग्रहण अध्यन के लिए कुछ किया गया बल्कि इसे महान खोज को भुला देने की पूरी कोशिश की गयी, जिसका कारण क्या है यह आप भी जानते हैं l
यह हमारा दुर्भाग्य है की इतनी महान और प्राचीन सभ्यता का हिस्सा होकर भी हमें अपने महान इतिहास से वंचित रखा जाता है और झूठा अपरिपक्व इतिहास पढ़ाकर हमारे मनों में आत्मग्लानि उत्पन्न की जाती है, शायद इसलिए क्योंकि इस देश पर साशन करते आ रहे कुछ तथाकथित सेकुलर परिवारों तथा मूर्ख कम्युनिस्टों को जनता के सत्य जानने के बाद उठने वाली हिंदुत्व की लहर से लगता है l
2001 में सरकार ने गुजरात के समुद्रियो तटों पर प्रदुषण के कारण हुए नुक्सान का अनुमान लगाने के लिए National Institute of Ocean Technology (NIOT) द्वारा एक सर्वे करने को कहा। जब समुद्री तलहटी की जांच की गयी तो सोनार पर मानव निर्मित नगर पाया गया जिसकी जांच करने पर पाया गया की यह नगर 32000 हज़ार वर्ष पुराना है तथा 9000 वर्षों से समुद्र में व...िलीन है।
9000 हज़ार वर्ष पूर हिमयुग की समाप्ति पर समुद्र का जलस्तर बढ़ने के कारण यह शहर समुद्र में विलीन हो गया था l इस शहर के सामने आने पर वो लोग सकते में आ गए जो भारतीय सभ्यता को मात्र 5000 वर्ष पुराना बताते थे तथा यह कहते थे की सनातन ग्रन्थ मात्र मिथक हैं क्योंकि इस शहर का ज़िक्र सनातनी ग्रंथों के अलावा कहीं और नहीं पाया जाता तो यह साबित हो जाता है की हमारे प्राचीन ग्रन्थ मात्र मिथक नहीं अपितु सत्य हैं l
जब यूरोप और अफ्रीका के लोग पूरी तरह मानव भी नहीं बने थे तथा नंगे घूम कर जानवारों को खाकर अपना पेट भरा करते थे तब भारतीय सभ्यता इतनी विकसित थी की तब भारत में योजनाबद्ध नगर बनाये जाते थे। इस ख़ोज का ना तो ज्यादा प्रचार किया गया ना ही इस पर ग्रहण अध्यन के लिए कुछ किया गया बल्कि इसे महान खोज को भुला देने की पूरी कोशिश की गयी, जिसका कारण क्या है यह आप भी जानते हैं l
यह हमारा दुर्भाग्य है की इतनी महान और प्राचीन सभ्यता का हिस्सा होकर भी हमें अपने महान इतिहास से वंचित रखा जाता है और झूठा अपरिपक्व इतिहास पढ़ाकर हमारे मनों में आत्मग्लानि उत्पन्न की जाती है, शायद इसलिए क्योंकि इस देश पर साशन करते आ रहे कुछ तथाकथित सेकुलर परिवारों तथा मूर्ख कम्युनिस्टों को जनता के सत्य जानने के बाद उठने वाली हिंदुत्व की लहर से लगता है l
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