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Thursday, December 4, 2014

AGING -AVOID ALL SODA,ARTIFICIAL SUGAR,WHITE SUGAR AND EXTEND TELOMERE AGING.

telomeresAccording to the American Heart Association, major sources of added sugars in our diets are soft drinks, candy, cakes, cookies, pies, fruit drinks, dairy desserts and milk products (such as ice cream and sweetened yogurt), and cereals. Most sweetened beverages and fruit drinks contain so much added sugar, in fact, that they have been referred to as “liquid sugar” by some experts.

Another major source of added sugar that has recently come under fire is soft drinks. According to the United States Department of Agriculture (USDA), the average 12-ounce can of cola contains over 8 teaspoons of sugar! So, by drinking just one small soft drink, a woman would have already far exceeded her recommended daily sugar maximum (of 6 teaspoons), and a man would have nearly reached his (of 9 teaspoons).


A recent study showed that drinking sugar-sweetened beverages such as sodas was associated with shorter telomeres (which are a marker of aging–longer telomeres, simply speaking, are a marker of youth, while telomere shortening is an indication of aging). This in turn was associated with higher risk for cardiovascular disease and diabetes.
The study investigators concluded that “regular consumption of sugar-sweetened sodas might influence metabolic disease development through accelerated cell aging.” In other words, in one more twist to the added-sugar saga, drinking sodas could age your cells–and, therefore, you.

 Organic Health

Saturday, September 13, 2014

SUGAR IS WHITE POISON-CHANGE TO INDIAN JAGGERY

Photo: चीनी सेहत के लिए धीमा जहर है और गुड़ स्वास्थ्य के लिए अमृत है।

चीनी को सफेद ज़हर कहा जाता है। जबकि गुड़ स्वास्थ्य के लिए अमृत है। क्योंकि गुड़ खाने के बाद वह शरीर में क्षार पैदा करता है जो हमारे पाचन को अच्छा बनाता है (इसलिए बागभट्टजी ने खाना खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ खाने की सलाह दी है)। जबकि चीनी अम्ल (Acid) पैदा करती है जो शरीर के लिए हानिकारक है। गुड़ को पचाने में शरीर को यदि 100 केलोरी उर्जा लगती है तो चीनी को पचाने में 500 केलोरी खर्च होती है। गुड़ में कैल्शियम के साथ-साथ फोस्फोरस भी होता है। जो शरीर के लिए बहुत अच्छा माना जाता है और हड्डियों को बनाने में सहायक होता है। जबकि चीनी को बनाने की पक्रिया में इतना अधिक तापमान होता है कि फोस्फोरस जल जाता है इसलिए अच्छी सेहत के लिए गुड़ का उपयोग करें।

1- चीनी मिलें हमेशा घाटे में रहती हैं। चीनी बनाना एक मँहगी प्रक्रिया है और हजारों करोड़ की सब्सिडी और चीनी के ऊँचे दामों के बावजूद किसानों को छह छह महीनों तक उनके उत्पादन का मूल्य नहीं मिलता है!
2-चीनी के उत्पादन से रोजगार कम होता है वहीं गुड़ के उत्पादन से भारत के तीन लाख से कहीं अधिक गाँवों में करोड़ों लोगों को रोजगार मिल सकता है।
3- चीनी के प्रयोग से डायबिटीज, हाइपोग्लाइसेमिया जैसे घातक रोग होते हैं!
4-चीनी चूँकि कार्बोहाइड्रेट होता है इसलिए यह सीधे रक्त में मिलकर उच्च रक्तचाप जैसी अनेक बीमारियों को जन्म देता है जिससे हर्ट अटेक का खतरा बढ़ जाता है!
5-चीनी का प्रयोग आपको मानसिक रूप से भी बीमार बनाता है। यहाँ पढ़ें www.macrobiotics.co.uk/sugar.htm
6-गुड़ में फाइबर और अन्य पौष्टिक तत्व बहुत अधिक होते हैं जो शरीर के बहुत ही लाभदायक है!
7-गुड़ में लौह तत्व और अन्य खनिज तत्व भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं!
8- गुड़ भोजन के पाचन में अति सहायक है। खाने के बाद कम से कम बीस ग्राम गुड़ अवश्य खाएँ। आपको कभी बीमारी नहीं होगी!
9-च्युइँगगम और कैँडी खाने से दाँत खराब होते हैं!
10-गुड़ के निर्माण की प्रक्रिया आसान है और सस्ती है जिससे देश को हजारों करोड़ रुपए का लाभ होगा और किसान सशक्त बनेगा!
11- गुड को दूध में मिलाके पीना वर्जित है इसलिये पहले गुड खाकर फ़िर दूध पिये
12- गुड को दही में मिलाके खाया जा सकता है बिहार में खासकर इसे खाया जाता है जो काफ़ी स्वादिष्ट लगता है
13- गुड की गज्ज्क, रेवडी आदि भी अच्छी होती है
अंग्रेजों को भारत से चीनी की आपूर्ति होती थी | और भारत के लोग चीनी के बजाय गुड (Jaggary) बनाना पसंद करते थे और गन्ना चीनी मीलों को नहीं देते थे | तो अंग्रेजों ने गन्ना उत्पादक इलाकों में गुड बनाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया और गुड बनाना गैरकानूनी घोषित कर दिया था और वो कानून आज भी इस देश में चल रहा है |चीनी सेहत के लिए धीमा जहर है और गुड़ स्वास्थ्य के लिए अमृत है।

चीनी को सफेद ज़हर कहा जाता है। जबकि गुड़ स्वास्थ्य के लिए अमृत है। क्योंकि गुड़ खाने के बाद वह शरीर में क्षार पैदा करता है जो हमारे पाचन को अच्छा बनाता है (इसलिए बागभट्टजी ने खाना खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ खाने की सलाह दी है)। जबकि चीनी अम्ल (Acid) पैदा करती है जो शरीर के लिए हानिकारक है। गुड़ को पचाने में शरीर को यदि 100 केलोरी उर्जा लगती है तो चीनी को पचाने में 500 केलोरी खर्च होती है। गुड़ में कैल्शियम के साथ-साथ फोस्फोरस भी होता है। जो शरीर के लिए बहुत अच्छा माना जाता है और हड्डियों को बनाने में सहायक होता है। जबकि चीनी को बनाने की पक्रिया में इतना अधिक तापमान होता है कि फोस्फोरस जल जाता है इसलिए अच्छी सेहत के लिए गुड़ का उपयोग करें।

1- चीनी मिलें हमेशा घाटे में रहती हैं। चीनी बनाना एक मँहगी प्रक्रिया है और हजारों करोड़ की सब्सिडी और चीनी के ऊँचे दामों के बावजूद किसानों को छह छह महीनों तक उनके उत्पादन का मूल्य नहीं मिलता है!
2-चीनी के उत्पादन से रोजगार कम होता है वहीं गुड़ के उत्पादन से भारत के तीन लाख से कहीं अधिक गाँवों में करोड़ों लोगों को रोजगार मिल सकता है।
3- चीनी के प्रयोग से डायबिटीज, हाइपोग्लाइसेमिया जैसे घातक रोग होते हैं!
4-चीनी चूँकि कार्बोहाइड्रेट होता है इसलिए यह सीधे रक्त में मिलकर उच्च रक्तचाप जैसी अनेक बीमारियों को जन्म देता है जिससे हर्ट अटेक का खतरा बढ़ जाता है!
5-चीनी का प्रयोग आपको मानसिक रूप से भी बीमार बनाता है। यहाँ पढ़ें INDIAN JAGGERY *(
..In 1948, a $57,000 ten-year study was awarded to Harvard University by the Sugar Research Foundation to find out how sugar causes cavities in teeth and how to prevent it. In 1958, Time magazine reported the findings, which were reported in the Dental Association Journal. They discovered there was no way to prevent the problem and their funding immediately disappeared.
...“The most significant human study was done in Sweden, reported in 1954, and known as the Vipeholm Dental Caries Study. More than 400 adult mental patients were placed on controlled diets and observed for five years. The subjects were divided into various groups. Some ate complex and simple carbohydrates at mealtimes only, while other supplemented mealtime food with between-meal-snacks, sweetened with sucrose, chocolate, caramel, or toffee.)
6-गुड़ में फाइबर और अन्य पौष्टिक तत्व बहुत अधिक होते हैं जो शरीर के बहुत ही लाभदायक है!
7-गुड़ में लौह तत्व और अन्य खनिज तत्व भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं!
8- गुड़ भोजन के पाचन में अति सहायक है। खाने के बाद कम से कम बीस ग्राम गुड़ अवश्य खाएँ। आपको कभी बीमारी नहीं होगी!
9-च्युइँगगम और कैँडी खाने से दाँत खराब होते हैं!
10-गुड़ के निर्माण की प्रक्रिया आसान है और सस्ती है जिससे देश को हजारों करोड़ रुपए का लाभ होगा और किसान सशक्त बनेगा!
11- गुड को दूध में मिलाके पीना वर्जित है इसलिये पहले गुड खाकर फ़िर दूध पिये
12- गुड को दही में मिलाके खाया जा सकता है बिहार में खासकर इसे खाया जाता है जो काफ़ी स्वादिष्ट लगता है
13- गुड की गज्ज्क, रेवडी आदि भी अच्छी होती है
अंग्रेजों को भारत से चीनी की आपूर्ति होती थी | और भारत के लोग चीनी के बजाय गुड (Jaggary) बनाना पसंद करते थे और गन्ना चीनी मीलों को नहीं देते थे | तो अंग्रेजों ने गन्ना उत्पादक इलाकों में गुड बनाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया और गुड बनाना गैरकानूनी घोषित कर दिया था और वो कानून आज भी इस देश में चल रहा है |

WARNING! MORE THAN 40 Foods never eat -coming from China

 1-Corn- corn from China. Some producers add sodium cyclamate to their corn. The purpose of this additive is to preserve the yellow color of...