आज घर में आज सुबह के नास्ते में ब्रेड को एक सरल भोज्य के रूप में देखा जाता है। इसे आसान, सुविधाजनक, पौष्टिक और स्वादिष्ट माना जाता है. खासतौर पर अकेले रहने वाले लोगों के लिए तो इसे एक वरदान जैसा है। लेकिन यह सरल सा दिखने वाला नास्ता क्या हमारे शारीर में विपरीत प्रभाव तो नही डाल रहा यह हम कभी नही सोचते।
सावधान हो जाये क्यूँकी, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की एक स्टडी से पता चलता है कि, सरलता से मिलने वाला ब्रेड हमारे शारीर को भीतर ही भीतर खोखला कर असाध्य रोग कैंसर के लक्षण पैदा कर रहा है।
ब्रेड बनता तो गेहूँ से ही है जिससे आटा भी बनता है और रोटी तो हम रोज ही खाते है फिर मात्र ब्रेड से ही कैंसर कैसे?
प्रश्न उपयुक्त है लेकिन हानिकारक तत्व गेहूँ में नही होते और ना ही आटे में, बल्कि ब्रेड बनाने के लिए प्रयोग होने वाले केमिकल्स में है। ब्रेड बनाने में प्रयोग होने वाले केमिकल्स विश्व के बहुत से देशों में तो बहुत पहले प्रतिबंधित किए जा चुके हैं।
ब्रेड बनाने के लिए मुख्य रूप से पोटाशियम ब्रोमेट और पोटैशियम आयोडेट का प्रयोग होता है। पोटैशियम ब्रोमेट वह केमिकल है जिसके लगातार शरीर में जाने से कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। इसी तरह पोटाशिम आयोडाइड से थायराइड से संबंधित दिक्कतें होती हैं। पोटैशियम ब्रोमेट पेट के कैंसर और किडनी की पथरी जैसी बीमारियों से भी जुड़ा हुआ है। इसके खाने से थायराइड ग्लैंड में गड़बड़ी होने लगती है। चूंकि ब्रेड एक ऐसी चीज है जिसे लोग और बच्चे भी लगातार रोज खाते हैं। इसीलिए इस से होने वाले खतरे को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
अब प्रश्न ये उठता है कि, अगर यह केमिकल इतने खतरनाक है तो ब्रेड बनाने वाली कंपनियां इसका प्रयोग क्यों करती है ? कंपनियां ब्रेड बनाने वाले मैदे में इन केमिकल्स को इसलिए मिलाती है, जिससे ब्रेड सफेद और मुलायम होता है। साथ ही बेहतर ढंग से फूलता है।
हानिकारक केमिकल्स के बारे में ब्रेड की जांच करने पर यह बात भी पता चली कि, ज्यादा सफेद और मुलायम दिखने वाले ब्रेड ज्यादा खतरनाक हैं। वहीं आटे से बनी ब्राउन ब्रेड और मल्टी ग्रेन ब्रेड में हानिकारक केमिकल्स की मात्रा कम पाई गई।
भारत में अभी भी पोटाशियम ब्रोमेट और पोटैशियम आयोडेट प्रयोग सरलता से हो रहा है। विश्व के कई देशों में ब्रेड और बेकरी की अन्य चीज बनाने में इन केमिकल्स के प्रयोग पर पहले ही प्रतिबन्ध लग चुका है।
पोटाशियम ब्रोमेट और पोटैशियम आयोडेट के प्रयोग में अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, चीन, श्रीलंका, ब्राजील, नाइजीरिया, पेरू और कोलंबिया आदि पूर्ण प्रतिबंध है।
जबकि भारत में खाने-पीने की चीजों पर निगरानी रखने वाली संस्था FSSAI इस मामले में अभी तक आंखें मूंद रखी हैं। और ना ही किसी तरह की चेतावनी देती नजर आती है। जिससे भारत में कई विषाक्त कैमिकल का प्रयोग भोज्य पदार्थो में किया जा रहा है।
ब्रेड में विषाक्त कामिकल और उसके दुष्परिणामो की स्टडी में मुख्य भूमिका निभाने वाले सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट के चंद्रभूषण बताते है कि, एक नहीं बल्कि सभी रिसर्च यह प्रमाणित हो चुका है की पोटैशियम ब्रोमेट पेट के कैंसर और किडनी की पथरी जैसी बीमारियों से जुड़ा हुआ है। इसी तरह से ब्रेड में पोटाशियम आयोडेट होने से शरीर में जरूरत से ज्यादा आयोडीन चला जाता है।
चंद्रभूषण बताते हैं कि, उनकी जांच के लिए सैंपल सिर्फ दिल्ली से उठाए गए थे, लेकिन हालत पूरे देश में लगभग एक जैसे ही हैं। क्योंकि ब्रेड बनाने वाली ज्यादातर कंपनियां पूरे देश में एक जैसा ब्रेड ही सप्लाई करती हैं।
अधिकतर कंपनियां ब्रेड के पैकेट पर यह लिखती तक नहीं है कि, वह अपने ब्रेड में पोटाशियम ब्रोमेट और पोटासियम आयोडेट का प्रयोग करती हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा है कि, उन्हें ब्रेड के बारे में इस स्टडी की जानकारी दी गई है। लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। इस पूरे मामले की जांच करने के बाद सरकार इस बारे में जरूरी कदम उठाएगी।
सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट ने जांच के लिए दिल्ली में भिन्न भिन्न स्थानों से ब्रेड के 38 सैंपल उठाए थे। इन सैंपलो में ब्रिटेनिया, हार्वेस्टर गोल्ड, इंग्लिश ओवन, परफेक्ट प्रीमियम जैसे लोकप्रिय ब्रांड थे। और स्टडी में इनके ब्रेड में भी यह केमिकल पाए गए।
इस स्टडी के अनुसार मात्र ब्रेड ही नही बल्कि तमाम फास्ट फूड और बर्गर की लोकप्रिय ब्रांड के बन और बर्गर में भी यह हानिकारक कैमिकल पाए गए है।
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