बथुआ संस्कृत भाषा में वास्तुक और क्षारपत्र के नाम से जाना जाता है | यह एक ऐसा साग है, जो गुणों की खान होने पर भी बिना किसी विशेष परिश्रम और देखभाल के खेतों में स्वत: ही उग जाता है।
१- यह पथरी के रोग के लिए बहुत अच्छी औषधि है . इसके लिए इसका 10-15 ग्राम रस प्रातः सांय लिया जा सकता है |
२- किडनी की समस्या हो जोड़ों में दर्द या सूजन हो ; तो इसके साग के सेवन से लाभ होता है |
३- खून की कमी होने पर इसके पत्तों के 25 ग्राम रस में पानी मिलाकर पीने से लाभ होता है
४- सामान्य दुर्बलता, बुखार के बाद की अरुचि और कमजोरी में इसका साग खाना हितकारी है।
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